Tuesday, 8 October 2013

Samajh jana ki wo main hu, समझ जाना की वो मैं हू......


हथेली सामने रखना,
के जब आँसू गिरे उसमे,
जो रुक जाएगा होंठो पर,
समझ जाना की वो मैं हू.

कभी जो चाँद को देखो,
तो तुम यूँ मुस्कुरा देना.
चले जब भी हवा ठंडी,
तो आँखे बंद कर लेना.
जो झोका तेज़ हो सब से,
समझ जाना की वो मैं हू.

बोहोत जब याद आउ मैं,
तो रो लेना तू जी भर के.
अगर हिचकी कोई आई,
समझ जाना की वो मैं हू.

मुझे तुम भूलना चाहो,
शायद भुला भी दोगि तुम,
मगर जब साँस तुम लोगि,
समझ जाना की वो मैं हू.

No comments:

Post a Comment